वैसे तो हर इंसान में कोई न कोई प्रतिभा होती है पर कुछ लोग उस प्रतिभा को दुनिया के सामने ले आते हैं र मशहूर हो जाते हैं तो कुछ हुनरमंद ऐसे भी होते हैं जो दुनिया से छिपते-छिपाते अपनी कला को अपने तक ही सीमित रख सकते हैं। लेकिन कहते हैं कि गुमनामी के अंधेरे में भी प्रतिभा खुद अपना रास्ता तलाश लेती है। ऐसी ही शख्सयत है श्रीमती सीमा गुदेषर। सृजनयात्रा से बातचीत में उन्होंने अपने दिल की बात खुलकर साझा की।
1. सबसे पहले आप अपने बारे में कुछ बताइए?
- - मेरा नाम सीमा गुदेषर है। मेरा जन्म 15 फरवरी 1977 को हुआ। मेरे पिता आर.डी. बिलोतिया समाज कल्याण विभाग के रिटायर्ड एएस है, जबकि मेरी माता श्रीमती सुशीला देवी गृहणी है। मेरी स्कूलिंग निम्बाहेड़ा में हुई, जो कि चित्तौड़गढ़ जिले मे है। स्नातक कोटा और उच्च शिक्षा वनस्थली विद्यापीठ से हुई।
हेंडीक्राफ्ट में आप कब से काम कर रही हैं। इसके अलावा और क्या शौक है?
- - गर्मियों की छुट्टियों में मेरी माताजी ने मुझे समर कैंप में भेजा, जहां मैंने ड्राइंग एवं हेंडीक्राफ्ट का कोर्स किया। इसमें मेरी रुचि होने के कारण मैंने शादी के बाद भी अपने बचे हुए समय में हेंडीक्राफ्ट के कुछ डिज़ाइन तैयार किए हैं। इसके अलावा मुझे सिंगिंग और योग करना पसंद है।
3. नया कुछ करने की इच्छाशक्ति कब जागृत हुई?
- हेंडीक्राफ्ट में मेरी रुचि 10 वीं कक्षा से उत्पन्न हुई, पर प्रोफेशनल तौर पर मैंने वर्ष 2014 से इस कार्य को शुरू किया। खासकर मेरी पहली पीडीलाइट एक्जीबिशन ने मुझे खासा मोटिवेट किया।
4. आपकी इस प्रतिभा के प्रेरणास्रोत कौन हैं?
- - मेरे पेरेंट्स, मेरे पति और मेरे दो प्यारे बच्चे मुझे हर कदम पर पूरा सपोर्ट करते हैं। वे ही मेरी इस कला को प्रोत्साहित कर बढावा देते हैं|
5. अपनी प्रतिभा को आप दुनिया के सामने कब लाएंगी?
-- सबसे पहले छोटे-छोटे कदम बढ़ाते हुए एक मजबूत नींव तैयार करने की जरूरत है। जैसे ही दुनिया के सामने इसे लाने की पूरी तैयारी हो जाएगी तो मैं अपनी वेबसाइट और ब्लॉग के माध्यम से इसे लांच करुंगी|
6. आप बाकी गृहणियों को क्या संदेश देना चाहती हैं?
-मेरा सभी गृहणियों को सुझाव है कि किसी भी तरह की नकारात्मक बातों में आने के बजाय अपने आपको उन सभी चीजों में व्यस्त करें जो आपको ख़ुशी प्रदान करती है। समय का सदुपयोग कर अपनी प्रतिभा को निखारें, ताकि वह आपको देश-दुनिया में नई पहचान दे सके।